नोएडा वेस्ट/ फेस वार्ता: न्यूमेड सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में हाल ही में एक अत्याधिक गंभीर जटिल व जानलेवा हेटेरोटोपिक प्रेगनेंसी का सफलता पूर्वक इलाज किया गया तथा माँ और बच्चों को एक नया जीवन प्रदान किया गया।
न्यूमेड सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, नोएडा एक्सटेंशन में हेटेरोटॉपिक गर्भावस्था का एक अत्यंत दुर्लभ मामले की सफलतापूर्वक डिलीवरी की गयी, हेटेरोटॉपिक गर्भावस्था वह स्थिति होती है, जिसमें एक गर्भ गर्भाशय के भीतर और दूसरा गर्भ पेट (एब्डॉमिनल कैविटी) में विकसित होता है। यह भारत में संभवतः पहला रिपोर्टड मामला है, जो 29 सप्ताह और 1 दिन की डिलीवरी तक पहुँचा और सजीव प्रसव संभव हुआ। इसे विश्व का पाँचवा (डॉक्यूमेंटेड) मामला माना जा रहा है।
हेटेरोटॉपिक गर्भावस्था के मामले अत्यंत दुर्लभ होते हैं। इस प्रकरण में मरीज ने 29 सप्ताह और 1 दिन की गर्भावधि में अत्यंत गंभीर और जटिल परिस्थितियों में प्रसव किया। मरीज की स्थिति को अत्यधिक उच्च जोखिम श्रेणी में रखा गया, क्योंकि उसका रक्त समूह Rh-निगेटिव था, साथ ही लिवर और किडनी की कार्यक्षमता प्रभावित, एनीमिया, कम प्लेटलेट काउंट तथा मूत्र मार्ग संक्रमण (UTI) का पूर्व मेडिकल हिस्ट्री था। मरीज गंभीर स्थिति में तेज पेट दर्द और अत्यधिक रक्तस्राव के साथ अस्पताल में भर्ती हुई।मरीज को लगभग तीन माह तक यूरिनरी कैथेटर लगाया गया था। बाहर कराए गए अल्ट्रासाउंड में इसे सामान्य जुड़वाँ गर्भावस्था बताया गया था, जिससे सही निदान में देरी हुई। इस मरीज को बहु-विषयक चिकित्सा टीम द्वारा निरंतर निगरानी में रखा गया। स्थिति तेजी से बिगड़ने के कारण आपातकालीन सिजेरियन ऑपरेशन किया गया। सर्जरी के दौरान यह पाया गया कि पेट में विकसित गर्भ का प्लेसेंटा आंतों में असामान्य रूप से धंसा हुआ था, जिसके कारण अत्यधिक रक्तस्राव हुआ।समय रहते किए गए शल्य चिकित्सा हस्तक्षेप से अति जानलेवा स्थिति को सफलतापूर्वक नियंत्रित किया गया। 08/11/2025 को प्लेसेंटा से जुड़ा हुआ आंत का एक छोटा हिस्सा शल्यक्रिया द्वारा निकाला गया। इस प्रक्रिया के दौरान मरीज ने दो पुरुष शिशुओं को जन्म दिया-एक गर्भाशय के भीतर विकसित गर्भ से और दूसरा पेट में विकसित गर्भ से गर्भाशय के भीतर विकसित शिशु का जन्म वजन 1.4 किलोग्राम था, जबकि पेट में विकसित शिशु का वजन 1.0 किलोग्राम था। दोनों शिशु स्थिर हैं और स्वस्थ हैं।मरीज को नवंबर माह में डिस्चार्ज कर दिया गया और वर्तमान में उसकी स्थिति संतोषजनक एवं स्थिर है। आगे के उपचार के तहत मरीज की आंतों की एनास्टोमोसिस की योजना बनाई गई है।
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